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मोदी का बड़ा फैसला, अब 60 साल की उम्र में रिटायर नहीं होंगे कर्मचारी Retirement Age Hike

भारत में सरकारी कर्मचारियों की रिटायरमेंट आयु 60 वर्ष तय की गई है। यह नियम दशकों से लागू है, लेकिन समय के साथ इसमें बदलाव की मांग उठती रही है। हाल ही में दिल्ली हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है, जिसमें कहा गया है कि केवल उम्र के आधार पर रिटायरमेंट तय करना उचित नहीं है। इस फैसले के बाद सरकार पर रिटायरमेंट नीति में बदलाव करने का दबाव बढ़ गया है।

हाईकोर्ट का ऐतिहासिक फैसला

दिल्ली हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि कर्मचारियों को उनकी शारीरिक और मानसिक क्षमता के आधार पर काम करने की अनुमति दी जानी चाहिए। यदि कोई कर्मचारी 60 वर्ष की आयु के बाद भी कार्य करने में सक्षम है, तो उसे जबरन रिटायर करना उचित नहीं होगा। कोर्ट ने सरकार को निर्देश दिया है कि वह रिटायरमेंट पॉलिसी को अधिक लचीला बनाए ताकि योग्य और अनुभवी कर्मचारी अपनी सेवाएं जारी रख सकें।

रिटायरमेंट आयु पर पुनर्विचार क्यों जरूरी?

वर्तमान समय में औसत जीवन प्रत्याशा बढ़ गई है और स्वास्थ्य सेवाओं में भी सुधार हुआ है। 60 वर्ष की आयु में लोग पहले की तुलना में अधिक स्वस्थ और सक्रिय रहते हैं। ऐसे में यह जरूरी हो गया है कि रिटायरमेंट नीति पर दोबारा विचार किया जाए।

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लंबा और स्वस्थ जीवन

  • आजकल लोगों की औसत जीवन प्रत्याशा 70-75 वर्ष हो गई है।
  • 60 वर्ष की आयु में भी कई लोग शारीरिक और मानसिक रूप से पूरी तरह सक्षम होते हैं।
  • ऐसे में उन्हें जबरन रिटायर करना उनके अनुभव और कौशल का नुकसान हो सकता है।

कार्य अनुभव का महत्व

  • वरिष्ठ कर्मचारियों के पास दशकों का अनुभव होता है, जिससे संस्थानों को लाभ मिलता है।
  • उनका ज्ञान और मार्गदर्शन युवा कर्मचारियों के लिए मददगार साबित हो सकता है।
  • कार्यस्थल में संतुलन बनाए रखने के लिए अनुभवी कर्मचारियों की उपस्थिति जरूरी होती है।

आर्थिक स्थिरता और सामाजिक सुरक्षा

  • रिटायरमेंट आयु बढ़ाने से कर्मचारियों को अपनी आर्थिक स्थिति मजबूत करने का मौका मिलेगा।
  • वे अपने परिवार की जरूरतों को बेहतर तरीके से पूरा कर पाएंगे।
  • इससे सरकारी विभागों को नए कर्मचारियों को प्रशिक्षित करने की लागत भी कम होगी।

दूसरे देशों में रिटायरमेंट आयु

कई विकसित देशों ने रिटायरमेंट आयु को लचीला बनाया है:

  • जापान: 65 वर्ष (इसे 70 करने पर विचार हो रहा है)।
  • जर्मनी: 67 वर्ष।
  • अमेरिका: 66-67 वर्ष के बीच।

भारत को भी इन देशों से सीख लेते हुए अपनी रिटायरमेंट नीति पर पुनर्विचार करना चाहिए।

दिल्ली हाईकोर्ट का सुझाव

हाईकोर्ट ने कहा कि रिटायरमेंट का निर्णय केवल उम्र के आधार पर नहीं, बल्कि कर्मचारियों की कार्य क्षमता के अनुसार होना चाहिए। सरकार को इस दिशा में नए नियम लागू करने चाहिए ताकि अनुभवी कर्मचारियों का सही उपयोग हो सके।

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कर्मचारियों और विशेषज्ञों की राय

  • कर्मचारियों का मत: वे अपने करियर को लंबे समय तक जारी रखना चाहते हैं और अपनी वित्तीय स्थिति सुधारना चाहते हैं।
  • विशेषज्ञों की राय: वरिष्ठ कर्मचारियों की सेवा से संस्थानों को बहुत फायदा हो सकता है, जिससे कार्यस्थल में संतुलन और उत्पादकता बढ़ेगी।

सरकार को क्या कदम उठाने चाहिए?

  1. रिटायरमेंट आयु की समीक्षा: सरकार को विशेषज्ञों, कर्मचारियों और अन्य हितधारकों की राय लेकर रिटायरमेंट नीति पर पुनर्विचार करना चाहिए।
  2. लचीले नियम लागू करना: कर्मचारियों की शारीरिक और मानसिक क्षमता के आधार पर रिटायरमेंट का निर्णय लिया जाए।
  3. मेंटरशिप प्रोग्राम शुरू करना: वरिष्ठ कर्मचारियों को मेंटर के रूप में नियुक्त किया जाए ताकि वे अपने अनुभव से युवा पीढ़ी को प्रशिक्षित कर सकें।

दिल्ली हाईकोर्ट का यह फैसला न केवल कर्मचारियों के लिए, बल्कि पूरे समाज के लिए एक सकारात्मक बदलाव है। यदि सरकार इस दिशा में सही कदम उठाती है, तो इससे कर्मचारियों की आर्थिक स्थिरता, कार्यक्षमता और समाज में योगदान बढ़ेगा। उम्र केवल एक संख्या है, काम करने की इच्छा और क्षमता को प्राथमिकता दी जानी चाहिए। इससे न केवल कर्मचारियों को लाभ मिलेगा, बल्कि देश की प्रगति में भी योगदान होगा।

Disclaimer: यह लेख केवल जानकारी के उद्देश्य से लिखा गया है। हम इसकी पूर्णता या सटीकता की गारंटी नहीं देते, कृपया आधिकारिक स्रोतों से पुष्टि करें।

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