अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में लगातार उतार-चढ़ाव देखने को मिल रहा है। हाल ही में, कच्चे तेल की कीमतें 72 डॉलर प्रति बैरल से नीचे गिर गई हैं, जो पिछले एक साल का न्यूनतम स्तर है। अमेरिका की नई सरकार की नीतियों और वैश्विक बाजार में हो रहे बदलावों का इस पर बड़ा प्रभाव पड़ा है। लेकिन सवाल यह है कि इस गिरावट का भारत पर क्या असर होगा? आइए, इसे विस्तार से समझते हैं।
क्रूड ऑयल की कीमतों में गिरावट क्यों आई?
- अमेरिका का उत्पादन बढ़ाना – अमेरिका ने कच्चे तेल का उत्पादन बढ़ा दिया है, जिससे बाजार में अधिक आपूर्ति हो रही है और कीमतें गिर रही हैं।
- रूस और ईरान पर प्रतिबंध – अमेरिका ने रूस और ईरान से तेल निर्यात को प्रतिबंधित कर दिया है, जिससे तेल बाजार में अस्थिरता बनी हुई है।
- सऊदी अरब का फैसला – सऊदी अरब ने तेल उत्पादन में कटौती नहीं करने का फैसला लिया, जिससे कीमतों में नरमी बनी हुई है।
- वैश्विक व्यापार युद्ध – अमेरिका, चीन, मैक्सिको और कनाडा के बीच व्यापार युद्ध की स्थिति भी तेल की कीमतों को प्रभावित कर रही है।
भारत के लिए क्या मतलब है सस्ता क्रूड?
भारत अपनी कच्चे तेल की जरूरतों का 85% आयात करता है, इसलिए तेल की कीमतों में गिरावट का भारत की अर्थव्यवस्था पर सीधा असर पड़ता है।
✅ रुपये की मजबूती – कच्चे तेल की कम कीमतें रुपये की गिरती कीमत को स्थिर करने में मदद कर सकती हैं।
✅ सरकारी तेल कंपनियों को मुनाफा – तेल कंपनियों को 7-9 रुपये प्रति लीटर तक का लाभ मिल सकता है।
✅ महंगाई पर नियंत्रण – सस्ता क्रूड महंगाई को नियंत्रित करने में मदद करता है क्योंकि पेट्रोल और डीजल की कीमतें परिवहन लागत को प्रभावित करती हैं।
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क्या पेट्रोल-डीजल के दाम घटेंगे?
हालांकि कच्चे तेल की कीमतें 73 डॉलर प्रति बैरल तक गिर चुकी हैं, लेकिन इसके बावजूद तेल कंपनियां पेट्रोल-डीजल की कीमतों में कटौती नहीं कर रही हैं।
👉 अंतिम बार मार्च 2024 में कीमतें बदली थीं, जब पेट्रोल-डीजल के दामों में 2 रुपये प्रति लीटर की कटौती की गई थी।
👉 तब भारत ने 89 डॉलर प्रति बैरल पर क्रूड खरीदा था, लेकिन अब जब यह 73 डॉलर प्रति बैरल पर आ गया है, तब भी आम जनता को राहत नहीं दी गई है।
भारत में कच्चे तेल की खरीद की स्थिति
सरकारी आंकड़ों के अनुसार, भारत ने फरवरी 2025 के पहले पांच दिनों में 77.77 डॉलर प्रति बैरल की दर से क्रूड खरीदा है। इससे पहले:
📌 जनवरी 2025 – 80.2 डॉलर प्रति बैरल
📌 दिसंबर 2024 – 73.02 डॉलर प्रति बैरल
📌 नवंबर 2024 – 75.12 डॉलर प्रति बैरल
📌 अक्टूबर 2024 – 73.69 डॉलर प्रति बैरल
इससे साफ है कि भारत को अब सस्ता क्रूड मिल रहा है, लेकिन अभी तक आम जनता को इसका लाभ नहीं दिया गया है।
रूस से तेल खरीद में कटौती
भारत ने रूस से कच्चे तेल की खरीद में कटौती करना शुरू कर दिया है। इसका कारण वैश्विक प्रतिबंध और तेल आयात पर बढ़ती जटिलताएं हैं। पहले भारत रूस से सस्ता तेल खरीद रहा था, लेकिन अब यह पहले के मुकाबले मुश्किल हो गया है।
क्या आने वाले समय में तेल सस्ता होगा?
केअरएज की रिपोर्ट के अनुसार, अगले 6 महीनों तक कच्चे तेल की कीमतें 75-80 डॉलर प्रति बैरल बनी रह सकती हैं। यदि यह स्तर बरकरार रहता है, तो भारत के लिए यह फायदेमंद रहेगा। लेकिन यह देखना दिलचस्प होगा कि सरकार और तेल कंपनियां इस लाभ को आम जनता तक पहुंचाती हैं या नहीं।
अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट भारत के लिए एक सकारात्मक संकेत है। यह महंगाई को कम करने और रुपये को मजबूत करने में मदद कर सकता है। हालांकि, सरकारी तेल कंपनियां अभी तक पेट्रोल-डीजल की कीमतों में कोई बदलाव नहीं कर रही हैं, जिससे आम जनता को राहत नहीं मिल रही। आने वाले महीनों में यह देखना होगा कि क्या सरकार इस स्थिति में कोई कदम उठाएगी या नहीं।
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