अंतरराष्ट्रीय क्रूड बाजार में वैश्विक अनिश्चितता का असर साफ दिख रहा है। ईरान और रूस के तेल निर्यात पर प्रतिबंध और अमेरिका द्वारा अपने क्रूड बाजार को बढ़ावा देने की कोशिशों से तेल की कीमतों में उतार-चढ़ाव बना हुआ है। इस समय कच्चे तेल की कीमतें 73 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच चुकी हैं, जो पिछले एक साल का न्यूनतम स्तर है।
अगले छह महीने में तेल की कीमतें 75-80 डॉलर रहने की संभावना
केअरएज की रिपोर्ट के अनुसार, अगले छह महीने तक अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतें 75-80 डॉलर प्रति बैरल रह सकती हैं। यह स्थिति भारत के लिए कई तरह से फायदेमंद हो सकती है, क्योंकि इससे डॉलर के मुकाबले रुपये की कीमत पर नकारात्मक असर कम होगा और सरकारी तेल कंपनियों का मुनाफा बढ़ेगा। हालांकि, आम जनता के लिए पेट्रोल-डीजल की कीमतों में राहत मिलने की संभावना कम ही है।
भारत में क्रूड की औसत खरीद कीमत घटी
भारत सरकार के आंकड़ों के अनुसार, फरवरी 2025 के पहले पांच दिनों में भारतीय कंपनियों ने औसतन 77.77 डॉलर प्रति बैरल की दर से कच्चे तेल की खरीद की। जनवरी 2025 में यह कीमत 80.2 डॉलर प्रति बैरल थी। सितंबर से दिसंबर 2024 के दौरान क्रूड की औसत खरीद कीमत 73-75 डॉलर प्रति बैरल के बीच रही।
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72 डॉलर प्रति बैरल के नीचे आया क्रूड
बुधवार को अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में बड़ी गिरावट आई और यह 72 डॉलर प्रति बैरल से भी नीचे पहुंच गई। अमेरिका की नई सरकार द्वारा तेल उत्पादन बढ़ाने और चीन, मैक्सिको व कनाडा के साथ कारोबारी युद्ध शुरू होने से यह गिरावट देखी गई।
भारत के लिए रूस से तेल खरीदना हो सकता है मुश्किल
सरकारी तेल कंपनियों के अधिकारियों के अनुसार, तेल बाजार में अनिश्चितता बनी हुई है और अगले कुछ महीनों तक ऐसी स्थिति बनी रह सकती है। भारत के लिए रूस से कच्चे तेल की खरीद पहले के मुकाबले मुश्किल हो सकती है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, भारत ने रूस से कच्चे तेल की खरीद में कटौती शुरू कर दी है।
आखिरी बार मार्च 2024 में बदली थी पेट्रोल-डीजल की कीमतें
केअरएज की रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिका का तेल उत्पादन बढ़ाने, सऊदी अरब द्वारा उत्पादन में कटौती नहीं करने और रूस की तेल आपूर्ति बाधित न होने की स्थिति में कच्चे तेल की कीमतें 75-80 डॉलर प्रति बैरल बनी रह सकती हैं। यदि यही स्थिति बनी रहती है, तो भारत में पेट्रोल-डीजल की मौजूदा कीमतों पर तेल कंपनियों को 7-9 रुपये प्रति लीटर का मुनाफा हो सकता है।
गौरतलब है कि देश में आखिरी बार मार्च 2024 में पेट्रोल और डीजल की कीमतों में बदलाव किया गया था। उस समय तेल कंपनियों ने पेट्रोल-डीजल की कीमतों में 2 रुपये प्रति लीटर की कटौती की थी। तब भारत ने 89 डॉलर प्रति बैरल की दर से कच्चे तेल की खरीद की थी। अब तेल की कीमतें 73 डॉलर प्रति बैरल तक आ चुकी हैं, लेकिन आम जनता को कोई राहत नहीं मिली है।
कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट भारत के लिए फायदेमंद साबित हो सकती है, लेकिन सरकारी तेल कंपनियां पेट्रोल-डीजल की कीमतों में कमी करेंगी या नहीं, यह अभी स्पष्ट नहीं है। रूस से तेल खरीद में कटौती और वैश्विक बाजार की अनिश्चितता के कारण अगले कुछ महीनों तक स्थिति अस्थिर बनी रह सकती है।
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